The Search| Not NF
ढूँढने निकले हैं खुद को
शायद किसी कचरे के ढेर में खो दिया था
निकला था मैं राही
मंजिल को पाने,
खुद की तलाश में चला था
खुद को समझने
खुद को पाने;
दुनिया के बहकावे मे आ बैठा
दुनिया से दिल लगा बैठा;
झूठी खुशी के चक्कर में
खुशी के आँसू भूला बैठा
आज पिछे मुङकर देखता हूं,
आंखें बंद करके रोता हूँ
जब खुद को खोया पता हूँ
बहुत पछताता हूँ।
दुनिया में आकर मेनें जीतना तो सीखा
मगर जीना भूल गया;
गमों को छिपाकर, हंसना तो सीखा
मगर खुद से बांटना भूल गया।
सुनने निकले हैं खुद की आवाज
किसी यातायात के शोर में खो दिया था।
ढूँढने निकले हैं खुद को
शायद किसी कचरे के ढेर में खो दिया था।
~Shyam Sunder



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